
हमारी दो जिंदगियाँ होती हैं
एक जो हम हर दिन जीते हैं
दूसरी जो हम हर दिन जीना चाहते हैं
उस दूसरी ज़िन्दगी के नाम।
हर अधूरी मुलाक़ात एक पूरी मुलाकात की उम्मीद लेकर आती है |
हर अधूरी मुलाकात एक पूरी मुलाकात की उम्मीद लेकर आती है। हर पूरी मुलाकात अगली पूरी मुलाकात से पहले की अधूरी मुलाकात बनकर रह जाती है। एक अधूरी उम्मीद ही तो है जिसके सहारे हम बूढ़े होकर भी बूढ़े नहीं होते।
आसपास देखकर पता ही नहीं चलता कौन कितने ऑसू लेकर भटक रहा है ।
यह जानते हुए कि यहाँ हमेशा नहीं रहना ऐसे में अपना घर बनाना और घर होना इस दुनिया का सबसे बड़ा घोखा है।
सब कुछ एक दिन ठीक हो जाएगा। इस उम्मीद पर एक नहीं, न जाने कितनी दुनिया चल रही होंगी।
कुछ पा लेने की राह पर रोज भागते हुए भूल ही जाता है कि अपने खोये हुए हिस्से को बचा लेना ही असली पाना है।
कुछ पा लेने के बाद जब हम एक ग्लास ठंडा पानी पीकर सुस्ताते हैं तब याद आता है कि हमारा वो एक हिस्सा खो गया जो इतना कुछ पाना चाहता था।